Bajrang Baan Paath (2024): The Ultimate Solution for Black Magic Removal | बजरंग बाण पाठ
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Bajrang Baan Paath Black Magic Removal in Hindi Lyrics |बजरंग बाण पाठ |
बजरंग बाण पाठ
श्री बज्रबाण पथ श्री हनुमान जी के भजन के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। यहाँ प्रस्तुत है:
श्री हनुमते नमः ।
ध्यान: शान्तं शश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाण शान्तिप्रदं,
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदांतवेद्यं विभुम्।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यम् हरिं,
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्॥ १॥
स्तोत्र:
श्रीगणेशाय नमः ।
नमोऽस्तु रामाय सलक्ष्मणाय देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै।
नमोऽस्तु रुद्रेन्द्रयमानिलेभ्यः नमोऽस्तु चन्द्रार्कमरुद्गणेभ्यः॥ २॥
नमो नमः कपीन्द्राय सारसाभाय साग्रजः।
अगच्छन्नास्मि वेगेन सीताशोकविनाशकः॥ ३॥
सीता समेता जय राम।
सीता समेता जय हनुमान॥ ४॥
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥ ५॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश बिकार॥ ६॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ ७॥
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुँचित केसा॥ ८॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजे।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग बंदन॥ ९॥
विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥ १०॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे॥ ११॥
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ १२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावे, अस कहि श्रीपति कंठ लगावे।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा॥ १३॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँते, कबि कोविद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा॥ १४॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ १५॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ १६॥
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना॥ १७॥
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै।
भूत पिशाच निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥ १८॥
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ १९॥
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥ २०॥
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकन्दन राम दुलारे॥ २१॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥ २२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।
अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥ २३॥
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ २४॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाईं।
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहि बन्दि महा सुख होई॥ २५॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥ २६॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥ २७॥
॥ दोहा ॥
नाशौ संकट हरौ बिपत्ती, सुन्दर बलधर सन्तान।
सदगुण प्रगट सर्वत्र राहौ, अहित विनाशहि विद्धमान॥ २८॥
यहाँ प्रस्तुत बज्रबाण पथ की प्रत्येक पंक्ति बज्रवत (बज्र के समान मजबूत) है और साधक को मानसिक एवं आत्मिक बल प्रदान करती है। यह पथ जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करने में सहायक होता है।
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