Hindi Spiritual Stories for Kids in Hindi -आदत और इंसान | Guru Bhakti Stories(2024)

Hindi Spiritual Stories in Hindi - आदत और इंसान | Guru Bhakti Stories(2024) 

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Hindi Spiritual Stories for Kids in Hindi -आदत और इंसान | Guru Bhakti Stories(2024) 


एक बार की बात है किसी अरब देश में एक बादशाह  की सभा चल रही थी तभी वहां एक अनजान  आदमी 
बादशाह  के दरबार में उपस्थित हुआ। पूछने पर उसने बादशाह  को बताया कि वो रोज़गार की तलाश में बादशाह  के पास आया है। बादशाह  ने पूछा ," क्या क़ाबलियत है तुममें जो तुम्हे रोज़गार दिया जाये ", अनजान व्यक्ति बोला ," जनाब ,सियासी हूँ " (अरब देश में सियासी उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अपने ज्ञान और बुद्धि से किसी भी  समस्या का समाधान  आसानी से कर दे ) ,बादशाह  के दरबार में सियासियों की कोई कमी नहीं थी पर बादशाह  को उस व्यक्ति का व्यव्हार और आत्मविश्वास बहुत भाया सो उसने उस व्यक्ति को अपने घोड़ों के तबेलों का मुख्य अध्यक्ष बना दिया। 


एक दिन बादशाह  के दरबार में घोड़ों का व्यापारी आया। वे बादशाह को अपने घोड़े की नस्ल के बारे में बता रहा था। एक घोडा बादशाह को बहुत पसंद आया पर बादशाह  ने सोचा अब सही वक़्त है सियासी की परीक्षा का सो बादशाह  ने तबेले के नए मुख्य अध्यक्ष को बुलाया और घोड़े के बारे में राय मांगी। तब उस व्यक्ति ने जवाब दिया ,"बादशाह सलामत ,ये घोड़ा नस्ली नहीं है ", बादशाह  हैरान ,उसने व्यापारी को बुलाया और पूछा क्या ये नस्ली है , व्यापारी बोला ,"हज़ूर है तो नस्ली पर पैदा होते ही इसकी माँ मर गयी थी सो ये गायें  का दूध पी बड़ा हुआ है। बादशाह ने सियासी को पूछा ,"तुम्हे कैसे पता चला कि ये नस्ली नहीं है ?", सियासी बोला ,"हज़ूर वो गाये की तरह ही घास चर रहा था जबकि नस्ली घोड़े झुक कर  घास तो मुँह में भर लेते है पर झुक कर नहीं बल्कि सर उठा कर घास खाते हैं  ", बादशाह  उसकी अक्लमंदी देख बहुत खुश हुआ सो उसने सियासी को अनाज ,घी  और बहुत सी खाने पीने की सामग्री भेजी और उसे मल्लिका के महल में तैनात कर दिया। 


एक दिन बादशाह  के मन में विचार आया कि क्यों न मल्लिका के बारे में जाना जाये सो उसने सियासी को बुलाया और पूछा बेगम के बारे में बताओ , सियासी बोला है तो मल्लिका पर शहजादी नहीं , बादशाह  के पैरों तलों ज़मीन खिसक गयी, उसको जान ने की उत्सुकता हुई सो उसने अपनी सास को बुला पूछा फिर सास ने बताया कि  हमारी जिस बेटी का रिश्ता आपसे हुआ था वो मर गयी थी सो हमने लोक  लाज से बचने हेतु गोद ली कन्या से आपका निकाह कर दिया जो कि जनम से ही दासी है। बादशाह ने सियासी से पूछा तुम्हे कैसे पता लगा ,सियासी बोला आपकी बेगम बद्तमीज़ है और उसका नौकरों के साथ रवैया भी गया गुजरा है ,कोई भी खानदानी व्यक्ति ऐसा रवैया कभी नहीं रखता। बादशाह बहुत खुश हुआ सो उसने सियासी को अपना दरबारी बना लिया और उपहार सवरूप बहुत सी भेड़ बकरियाँ भी सियासी को दी। 


इसी तरह से सियासी बादशाह को अपनी राय देता रहता।एक दिन बादशाह  के मन में विचार आया कि औरों के बारे में तो बहुत जान लिया  आज अपने बारे में सियासी की राय जानता हूँ सो उसने सियासी को बुला पूछा मेरे बारे और मेरे व्यक्तित्व के बारे में बताओ। सियासी बोला ,"बादशाह सलामत बता तो दूंगा पर वादा चाहता हूँ के जानने के बाद मेरी जान बक्श दी जाये ", बादशाह  ने वादा किया ऐसा ही होगा। सयासी ने बताया ," हज़ूर आप  न ही तो शहजादे हो और न ही बादशाह  सलामत ", ये सुन बादशाह  को गुस्सा आ गया पर वादा जो किया था सो सियासी को कुछ भी सजा न सुनाई पर अपनी माँ को बुला हक़ीक़त जाननी चाही कि सयासी की बातों में क्या दम है ,तो बादशाह की माँ ने बताया आप हमारी औलाद नहीं एक चरवाहे से आपको हमने गोद लिया था। बादशाह  ने सियासी से पूछा ," तुम्हे कैसे इलम हुआ , सियासी बोला ,"बादशाह  सलामत आप हर वक़्त मुझे खाने पीने की सामग्री और भेड़ बकरियाँ ही तोहफे स्वरूप देते थे ,एक बादशाह  जब खुश होता है तो हीरे जवाहरात देता है पर भेड़  बकरियाँ देना तो तो चरवाहों का ही काम होता है नाकि बादशाओं का ।


बादशाह बोला ," तुम हर बात  सही बताते हो तुम इस   बात का इलम कैसे लगाते हो।" सियासी बोला ,"हज़ूर इसमें इलम कहाँ , हमारी उठनी बैठनी , तेहज़ीब और आदत ही हमारा व्यकित्व दर्शाती है।  चाहे हम लाख अमीर हो या खूब शोहरत हो पर ज़रा सी बुरी आदत हमारे पुरे व्यक्तित्त्व को तहस नहस कर देती है यही तो हमें हमारी औकात बताती है सो अपनी आदतों को सुधारिये। आदत ही आपको बादशाह भी बना सकती है चाहे आप गरीब ही क्यों न हो पर अगर चरवाहे होकर उस आदत को आप सुधार न सके तो बादशाह होकर भी चरवाहे ही रहेंगे। सो आदतों और व्यव्हार को शालीन बनाये यही हमारे व्यक्तित्व को निखारती  हैं। 

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