The Prince and the Magical Tree: A Beautiful Hindi Folk Tale for Kids - Folk tales | लोक कथाएँ


राजकुमार और जादुई पेड़ (The Prince and the Magical Tree)



The Prince and the Magical Tree
The Prince and the Magical Tree: A Beautiful Hindi Folk Tale for Kids - Folk tales 



एक समय की बात है, एक छोटे से राज्य में एक राजा और रानी रहते थे। उनके राज्य का नाम "सुखदर्शन" था। राजा और रानी का एक पुत्र था, जिसका नाम राजकुमार विक्रम था। विक्रम न केवल बुद्धिमान और साहसी था, बल्कि उसका दिल भी बहुत दयालु था।


राजा का राज्य हरा-भरा और खुशहाल था, लेकिन एक दिन राज्य में अकाल पड़ गया। नदी सूख गई, फसलें बर्बाद हो गईं, और लोग भूख और प्यास से त्रस्त हो गए। राजा ने राज्य के सबसे बड़े विद्वान को बुलाया और समाधान पूछा।


विद्वान ने कहा, "महान राजा, इस समस्या का समाधान एक जादुई पेड़ में छुपा है। वह पेड़ 'जीवन का पेड़' कहलाता है और वह राज्य के बाहर एक घने जंगल में स्थित है। केवल वही व्यक्ति इसे प्राप्त कर सकता है जो निःस्वार्थ और दयालु हो।"


राजा ने राजकुमार विक्रम को यह कार्य सौंपा, क्योंकि वह जानता था कि विक्रम में सभी गुण हैं। राजकुमार ने अपने घोड़े पर सवार होकर उस घने जंगल की ओर प्रस्थान किया।


रास्ते में, राजकुमार को एक प्यासा हिरण मिला। विक्रम ने तुरंत अपने जल पात्र से पानी निकालकर हिरण को पिलाया। हिरण ने आभार व्यक्त किया और कहा, "धन्यवाद, राजकुमार। आप सच्चे और दयालु हैं। मैं आपको जादुई पेड़ तक पहुँचने में मदद करूंगा।"


हिरण ने विक्रम को एक गुप्त रास्ता दिखाया, जो सीधे 'जीवन के पेड़' की ओर जाता था। कुछ समय बाद, वे एक सुंदर जगह पहुंचे जहाँ एक विशाल, चमकता हुआ पेड़ खड़ा था। उसके फल सुनहरे थे और उसकी पत्तियाँ रत्नों जैसी चमकती थीं।


विक्रम ने पेड़ से प्रार्थना की, "हे जीवन के पेड़, मेरे राज्य के लोग भूख और प्यास से त्रस्त हैं। कृपया मेरी मदद करें।"


पेड़ ने अपनी शाखाएँ हिलाई और एक सुनहरी फल विक्रम के सामने गिराया। पेड़ ने कहा, "यह फल आपके राज्य के लिए जीवन और खुशहाली लेकर आएगा। इसे अपने राज्य ले जाओ और नदी में प्रवाहित कर दो।"


विक्रम ने धन्यवाद कहा और जल्दी से राज्य लौट आया। उसने फल को नदी में प्रवाहित कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से, नदी फिर से जीवंत हो गई और पानी से भर गई। फसलें लहलहाने लगीं और लोगों के चेहरे पर खुशियाँ लौट आईं।


राजा और रानी ने विक्रम को गले लगाया और पूरे राज्य ने उसका स्वागत किया। विक्रम के निःस्वार्थ और दयालु कार्य ने राज्य को बचा लिया था।


इस प्रकार, 'सुखदर्शन' राज्य फिर से हरा-भरा और खुशहाल हो गया और राजकुमार विक्रम की कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रहीं।


कहानी का संदेश (Moral of the Story)



यह कहानी हमें सिखाती है कि निःस्वार्थता और दयालुता से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें भी मदद मिलती है।


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